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हरयाणा पुलिस की
खेलों को बर्बाद करने
वाली शर्मनाक हरकत का विरोध होना चाहिए
पानीपत २४ अक्तूबर :
इस देश की बदकिस्मती है कि, खेलों का पीछा ना भ्रष्टाचार छोड़ रहा है और ना ही राजनीति ! बड़े ही शर्म कि बात है जिस राज्य के खिलाड़ी देश भर के लिए अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर मिसाल कायम कर के एक प्रेरणा का काम कर रहे हैं उस राज्य की पुलिस और राजनेता किस कदर ओछी हरकतों पर उतर कर खिलाड़ियों का न केवल होसला तोड़ रहे हैं बल्कि खेल और खिलाड़िओं के भयिश्य के साथ खेल रहे हैं !
एक तरफ जब राज्य के मुखिया श्री भूपेंदर सिंह हूडा, फिक्की द्वारा सर्वश्रेष्ठ खेल प्रोत्साहक का पुरूस्कार प्राप्त कर रहे थे और गुडगाँव में सरकार द्वारा प्रायोजित खेल उत्सव का समापन चल रहा था, उसी वक़्त यमुनानगर में हरयाणा पुलिस अपनी चिर परिचित घटिया हरकत पर उतर रही थी! राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हरयाणा का प्रतिनिधित्व करने वाली हरयाणा कि भारोत्तोलन टीम का चयन हरयाणा राज्य भार्तोत्तोलन संघ द्वारा जगधारी वोर्कशोप में आयोजित करवाया जा रहा था जिसे पुलिस ने जबरदस्ती बंद करवाया और खिलाड़ियों और अधिकारीयों को वहां से खदेड़ दिया ! हरयाणा राज्य भारोत्तोलन संघ के सचिव श्री राजेश त्यागी जो पद्मश्री कर्णम मल्लेश्वरी के पति हैं ने संघ के पदाधिकारियों को यमुनानगर के प्रोफेसर कालोनी स्थित आवास पर चयन प्रिक्रिया करवाने कि इजाजत दी तो हरयाणा पुलिस सरेआम गुंडा गर्दी पर उतर आई और राजेश त्यागी के घर से सभी को बहार निकाल कर घर पर ताला लगा दिया गया !
क्या पुलिस बताएगी कि हरयाणा में जनता का राज है या पुलिस का ? क्या कोई पुलिस अधिकारी इस बात का जवाब देगा कि किस आधार पर एक मान्यताप्राप्त संघ कि कार्यवाही में इस तरह का असंवाधानिक दखल किस आधार पर और किसके आदेश से हुआ ? पहले भी इस प्रकार कि हरकत हरयाणा पुलिस कई बार कर चुकी है, २००६ में हिसार में हरयाणा राज्य मुक्केबाजी संघ द्वारा राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हो रहे चयन में बोक्सिंग हाल पर ताल जड़ दिया गया था, खो खो प्रतियोगिता को रुकवाने कि कोशिश कि गयी, २००७ में पानीपत में राष्ट्रीय कराते प्रतियोगिता के लिए हो रहे चयन को आल इंडिया करते दो फेडेरशन पद्धिकारियों कि मोजुदगी मैं रुकवाने कि कोशिश कि गयी, जनवरी २०११ में हिसार में राष्ट्रीय खेलों के लिए हरयाणा राज्य अथलेटिकस संघ कि चयन प्रक्रिया को पुलिस द्वारा रोक दिया गया ! हरयाणा पुलिस और कांग्रेस सरकार के नुमाइंदों कि देख रेख में हरयाणा ओलंपिक भवन पर २००६ में नाजायज तरीके से सुबह ६ बजे कब्ज़ा किया गया था ! ऐसे अनेकों उदहारण हैं जिसमें हरयाणा साकार और हरयाणा पुलिस कि शर्मिंदा करने वाली हरकत सामने आती है !
पहले साकार ने राज्य प्रतियोगिता में भाग लेने वाली जिला टीमो को बस किराये में मिलने वाली छूट को बंद किया, राज्य खेल संघों को मिलने वाली खेल ग्रांट इन ऐड को बंद किया, खिलाड़ियों को अपने ल्हेल प्रमाण पत्रों कि ग्रेडिंग के लिए न्यायालयों कि शरण में जाना पड़ रहा है, अपने हक कि नौकरी लेने के लिए न्यायालयों कि शरण लेनी पड़ रही है और अब तो हद ही हो गयी ! किस आधार पर राज्य सरकार खेलों को प्रोत्साहित करने का दंभ भारती है ? और क्यों मुख्यमंत्री को फीक्की द्वारा दिया गया खेल प्रोत्साहक का अवार्ड लेने मैं शर्म नहीं आई ?
राजेश त्यागी ने हरयाणा के एक महानिदेशक रँक के पुलिस अधिकारी श्री P V राठी के ऊपर आरोप लगाया है कि उन्होंने इस तरह कि हरकत करवाई है ! श्री राठी बताएँगे कि जब से कांग्रेस सरकार राज्य में आई है उनका अचानक से खेल प्रेम कैसे जाग गया कि वो अपनी पुलिस कि जिम्मेदारी छोड़ कर खेलों के पीछे पड़ गए हैं ? उन्होंने ने हरयाणा ओलंपिक संघ में भी जबरदस्ती घुसपैठ कि कोशिश कि है, और नाजायज तरीके से हरयाणा ओलंपिक संघ नाम से संघ चला रहे हैं जबकि उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ से कोई मान्यता प्राप्त नहीं है ! पिछले दिनों भारतीय जिम्नास्टिक संघ के चुनावों में भी उन्होंने गैर कानूनी तरीके से चुनाव लड़ने कि कोशिश कि थी जिसमें उनका नामांकन भारत सरकार द्वारा NOC न लेने के कारण रद्द कर दिया गया था ! इस से पहले भी राठी जी कई खेल संघों में घुसपैठ कि कोशिश कर चुके हैं ! अच्छा होता अगर श्री राठी प्रदेश में दिन पर दिन लचर होती क़ानून व्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ करते, और खेल और खिलाड़ियों को उनके हाल पर छोड़ने कि कृपया करते !
क्यों नहीं हरयाणा सरकार, खेल मंत्री और मुख्यमंत्री श्री P V राठी और पुलिस महानिदेशक रंजीव दलाल से इन हरकतों के लिए जवाब तलब करते ? क्यों प्रदेश के खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ? हरयाणा सरकार और खास तौर से मुख्यमंत्री कि अगर इस सारे ड्रामें में रजामंदी नहीं है तो वो पहल करें और पुलिस कि इस हरकत पर सख्त नोटिस लें ! वर्ना खेल प्रोत्साहक का दंभ भरना छोड़ दें और खेलाड़ियों कि उपलब्धियों पर अपनी पीठ थपथपाना छोड़ दें !
मैं हरयाणा प्रदेश के सभी खिलाड़ियों, खेल प्रेमियों, पदाधिकार्यों और खेल प्रोत्साहकों से अपील करता हूँ कि हरयाणा पुलिस कि इस शर्मनाक और खेलों को बर्बाद करने वाली हरकत का पुरजोर विरोध करें !
मैं आम नागरिकों, प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों और समाज सेवियों से भी अनुरोध करता हूँ कि विरोध के स्वर बुलंद करें ! सबसे ऊपर मैं पत्रकारिते से जुड़े लोगों से अपील करता हूँ कि वे आगे आयें और खेल और खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए पुरजोर सहयोग दें और सरकार से पूछें कि क्यों दिन रात घर से बहार रह कर हर सुख सुवीधा को त्याग कर देश के लिए मेडल जितने कि हर संभव कोशिश करने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों ? जब प्रदेश का राष्ट्रीय स्टार पर प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है तो आम खिलाड़ियों कि क्या स्तिथि होगी ?
नरेन्द्र सिंह मोर
महासचिव, हरयाणा राज्य कराते संघ
इस देश की बदकिस्मती है कि, खेलों का पीछा ना भ्रष्टाचार छोड़ रहा है और ना ही राजनीति ! बड़े ही शर्म कि बात है जिस राज्य के खिलाड़ी देश भर के लिए अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर मिसाल कायम कर के एक प्रेरणा का काम कर रहे हैं उस राज्य की पुलिस और राजनेता किस कदर ओछी हरकतों पर उतर कर खिलाड़ियों का न केवल होसला तोड़ रहे हैं बल्कि खेल और खिलाड़िओं के भयिश्य के साथ खेल रहे हैं !
एक तरफ जब राज्य के मुखिया श्री भूपेंदर सिंह हूडा, फिक्की द्वारा सर्वश्रेष्ठ खेल प्रोत्साहक का पुरूस्कार प्राप्त कर रहे थे और गुडगाँव में सरकार द्वारा प्रायोजित खेल उत्सव का समापन चल रहा था, उसी वक़्त यमुनानगर में हरयाणा पुलिस अपनी चिर परिचित घटिया हरकत पर उतर रही थी! राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हरयाणा का प्रतिनिधित्व करने वाली हरयाणा कि भारोत्तोलन टीम का चयन हरयाणा राज्य भार्तोत्तोलन संघ द्वारा जगधारी वोर्कशोप में आयोजित करवाया जा रहा था जिसे पुलिस ने जबरदस्ती बंद करवाया और खिलाड़ियों और अधिकारीयों को वहां से खदेड़ दिया ! हरयाणा राज्य भारोत्तोलन संघ के सचिव श्री राजेश त्यागी जो पद्मश्री कर्णम मल्लेश्वरी के पति हैं ने संघ के पदाधिकारियों को यमुनानगर के प्रोफेसर कालोनी स्थित आवास पर चयन प्रिक्रिया करवाने कि इजाजत दी तो हरयाणा पुलिस सरेआम गुंडा गर्दी पर उतर आई और राजेश त्यागी के घर से सभी को बहार निकाल कर घर पर ताला लगा दिया गया !
क्या पुलिस बताएगी कि हरयाणा में जनता का राज है या पुलिस का ? क्या कोई पुलिस अधिकारी इस बात का जवाब देगा कि किस आधार पर एक मान्यताप्राप्त संघ कि कार्यवाही में इस तरह का असंवाधानिक दखल किस आधार पर और किसके आदेश से हुआ ? पहले भी इस प्रकार कि हरकत हरयाणा पुलिस कई बार कर चुकी है, २००६ में हिसार में हरयाणा राज्य मुक्केबाजी संघ द्वारा राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हो रहे चयन में बोक्सिंग हाल पर ताल जड़ दिया गया था, खो खो प्रतियोगिता को रुकवाने कि कोशिश कि गयी, २००७ में पानीपत में राष्ट्रीय कराते प्रतियोगिता के लिए हो रहे चयन को आल इंडिया करते दो फेडेरशन पद्धिकारियों कि मोजुदगी मैं रुकवाने कि कोशिश कि गयी, जनवरी २०११ में हिसार में राष्ट्रीय खेलों के लिए हरयाणा राज्य अथलेटिकस संघ कि चयन प्रक्रिया को पुलिस द्वारा रोक दिया गया ! हरयाणा पुलिस और कांग्रेस सरकार के नुमाइंदों कि देख रेख में हरयाणा ओलंपिक भवन पर २००६ में नाजायज तरीके से सुबह ६ बजे कब्ज़ा किया गया था ! ऐसे अनेकों उदहारण हैं जिसमें हरयाणा साकार और हरयाणा पुलिस कि शर्मिंदा करने वाली हरकत सामने आती है !
पहले साकार ने राज्य प्रतियोगिता में भाग लेने वाली जिला टीमो को बस किराये में मिलने वाली छूट को बंद किया, राज्य खेल संघों को मिलने वाली खेल ग्रांट इन ऐड को बंद किया, खिलाड़ियों को अपने ल्हेल प्रमाण पत्रों कि ग्रेडिंग के लिए न्यायालयों कि शरण में जाना पड़ रहा है, अपने हक कि नौकरी लेने के लिए न्यायालयों कि शरण लेनी पड़ रही है और अब तो हद ही हो गयी ! किस आधार पर राज्य सरकार खेलों को प्रोत्साहित करने का दंभ भारती है ? और क्यों मुख्यमंत्री को फीक्की द्वारा दिया गया खेल प्रोत्साहक का अवार्ड लेने मैं शर्म नहीं आई ?
राजेश त्यागी ने हरयाणा के एक महानिदेशक रँक के पुलिस अधिकारी श्री P V राठी के ऊपर आरोप लगाया है कि उन्होंने इस तरह कि हरकत करवाई है ! श्री राठी बताएँगे कि जब से कांग्रेस सरकार राज्य में आई है उनका अचानक से खेल प्रेम कैसे जाग गया कि वो अपनी पुलिस कि जिम्मेदारी छोड़ कर खेलों के पीछे पड़ गए हैं ? उन्होंने ने हरयाणा ओलंपिक संघ में भी जबरदस्ती घुसपैठ कि कोशिश कि है, और नाजायज तरीके से हरयाणा ओलंपिक संघ नाम से संघ चला रहे हैं जबकि उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ से कोई मान्यता प्राप्त नहीं है ! पिछले दिनों भारतीय जिम्नास्टिक संघ के चुनावों में भी उन्होंने गैर कानूनी तरीके से चुनाव लड़ने कि कोशिश कि थी जिसमें उनका नामांकन भारत सरकार द्वारा NOC न लेने के कारण रद्द कर दिया गया था ! इस से पहले भी राठी जी कई खेल संघों में घुसपैठ कि कोशिश कर चुके हैं ! अच्छा होता अगर श्री राठी प्रदेश में दिन पर दिन लचर होती क़ानून व्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ करते, और खेल और खिलाड़ियों को उनके हाल पर छोड़ने कि कृपया करते !
क्यों नहीं हरयाणा सरकार, खेल मंत्री और मुख्यमंत्री श्री P V राठी और पुलिस महानिदेशक रंजीव दलाल से इन हरकतों के लिए जवाब तलब करते ? क्यों प्रदेश के खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ? हरयाणा सरकार और खास तौर से मुख्यमंत्री कि अगर इस सारे ड्रामें में रजामंदी नहीं है तो वो पहल करें और पुलिस कि इस हरकत पर सख्त नोटिस लें ! वर्ना खेल प्रोत्साहक का दंभ भरना छोड़ दें और खेलाड़ियों कि उपलब्धियों पर अपनी पीठ थपथपाना छोड़ दें !
मैं हरयाणा प्रदेश के सभी खिलाड़ियों, खेल प्रेमियों, पदाधिकार्यों और खेल प्रोत्साहकों से अपील करता हूँ कि हरयाणा पुलिस कि इस शर्मनाक और खेलों को बर्बाद करने वाली हरकत का पुरजोर विरोध करें !
मैं आम नागरिकों, प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों और समाज सेवियों से भी अनुरोध करता हूँ कि विरोध के स्वर बुलंद करें ! सबसे ऊपर मैं पत्रकारिते से जुड़े लोगों से अपील करता हूँ कि वे आगे आयें और खेल और खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए पुरजोर सहयोग दें और सरकार से पूछें कि क्यों दिन रात घर से बहार रह कर हर सुख सुवीधा को त्याग कर देश के लिए मेडल जितने कि हर संभव कोशिश करने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों ? जब प्रदेश का राष्ट्रीय स्टार पर प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है तो आम खिलाड़ियों कि क्या स्तिथि होगी ?
नरेन्द्र सिंह मोर
महासचिव, हरयाणा राज्य कराते संघ
प्रदेश के खिलाड़ी लावारिस से हो गए हैं 
खेलना है तो खुद वहन करना पड़ेगा खर्च
पानीपत . प्रदेश में खेल संगठनों पर कब्जे को लेकर घात प्रतिघात का खेल सत्तारूढ़ कांग्रेस और आदरणीय मुख्यमंत्री खेल रहे हैं लेकिन इसमें पिस रहे हैं प्रदेश के खिलाड़ी। क्योंकि सरकार और हरियाणा ओलंपिक संघ के बीच चल रहे इस संघर्ष के कारण प्रदेश के खेल संगठनों को छह साल से सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद नहीं मिल रही है।सो वे खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों के सामने समस्या कड़ी हो जाती है, कि खेलना है तो अपना खर्च भी खुद उठाना पड़ेगा । ऐसा उस प्रदेश में हो रहा है जहां खिलाड़ियों पर धन वर्षा करने का दावा किया जाता है। सरकार का खिलाड़ियों के लिए नारा है ‘मेडल जीतो और नौकरी पाओ’, लेकिन वे जब प्रांतीय स्तर की प्रतियोगिताओं में ही प्रतिभाग नहीं कर पाएंगे तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसे खेलेंगे? इस सवाल का जवाब देने वाला कोई नहीं है।
छह साल से बंद है ग्रांट
प्रदेश सरकार ने 2005 से प्रदेश सरकार ने खेल संगठनों को ग्रांट देना बंद कर दिया था। 2006 में खेल संगठनों को ग्रांट मिलने की आस जगी थी, लेकिन वह भी हरियाणा ओलंपिक संघ पर सरकार द्वारा नाजायज़ तरीके से कब्ज़ा करने की कोशिश के साथ ही ख़त्म तोड़ गयी !
विवाद सुलझे बगैर ग्रांट नहीं
सरकार द्वारा बराबर हरियाणा ओलंपिक संघ के गठन के बाद से ही खेल संगठनों की ग्रांट बंद है। श्री -सतपाल शर्मा, संयुक्त निदेशक खेल हरियाणा सरकार कहते हैं की जब तक हरियाणा ओलामिक संघ का मामला सुलझ नहीं जाता तब तक खेल संगठनों को ग्रांट मुहैया करवाना मुश्किल है।
हमारे साथ हो रहा अन्याय
इनेलो से जुड़े खेल संगठनों को सरकार की ओर से न तो खेल के मैदान और न ही कोच दिए जाते हैं। इसका सीधा असर खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर पड़ता है। विभिन्न खेल संघ समय - समय पर, हरियाणा सरकार, खेल निदेशक, जिला खेल अधिकारीयों को पत्र लिख चुके हैं और खेल मैदान, खेल का सामान और कोच उपलब्ध करवाने के लिए प्रार्थना करते रहते हैं पर किसी से भी कोई जवाब नहीं मिलता !
ऐसे में हुड्डा सरकार किस बिनाह पर दम भरती है की वो प्रदेश में खेलों को प्रोत्साहन दे रही है ------------------